विटामिन – Vitamin

विटामिन की खोज 1881 में लुनिन ने की थी। विटामिन शब्द या विटामिनवाद 1912 ई. में वैज्ञानिक फुक (Funk) के द्वारा दिया गया। विटामिन को 2 वर्गों में विभक्त किया गया है

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विटामिन – Vitamin

विटामिन
विटामिन

विटामिन की खोज 1881 में लुनिन ने की थी।

रासायनिक दृष्टि से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि शरीर की उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित करते हैं।

इनके बिना ‘उपापचय‘ (Metabolism) असम्भव होता है। इनकी कमी से शरीर में अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं।

ये स्वयं ऊर्जा प्रदान नहीं करते हैं, लेकिन ऊर्जा सम्बन्धी सभी रासायनिक क्रियाओं को नियन्त्रित करते हैं।

मनुष्य इनका ‘संश्लेषण’ (Synthesis) | स्वत: नहीं कर पाता, इसलिए ये भोजन के माध्यम से प्राप्त किये जाते हैं।

जबकि वनस्पतियाँ इनका स्वतः संश्लेषण करती हैं।

विटामिन शब्द या विटामिनवाद 1912 ई. में वैज्ञानिक फुक (Funk) के द्वारा दिया गया।

विटामिन्स-एल्कोहल, स्टेरोल और क्विनोन होते हैं।

विटामिन्स को 2 वर्गों में विभक्त किया गया है- (i) वसा में घुलनशील तथा (ii) जल में घुलनशील।

(i) वसा में घुलनशील विटामिन्स– विटामिन ए, डी, ई और के

(ii) जल में घुलनशील विटामिन्स– बिटामिन बी, सी।

वसा में घुलनशील विटामिन्स

विटामिन ए – Vitamin A

रासायनिक नाम- रेटिनाल

इसे वृद्धिकर विटामिन (Vitamin of Growth) और संक्रमण रोधी (Anti infection) विटामिन कहते हैं।

इसकी कमी से रतौंधी (Nightblindness), जीरोपथैल्मिया (Xerophthalmia), डरमेटोसिस (Dermatosis), मन्दित बुद्धि (Retarted Growth), शरीर में पथरी (Stone), आँख में सफेदी आदि बीमारियाँ होती हैं।

इस विटामिन के स्रोत- गाजर, दूध, मक्खन, अण्डा, मछली का तेल, पालक आदि हैं।

विटामिन डी – Vitamin D

इसका रासायनिक नाम- ‘कैल्सीफेराल’ है।

यह हड्डियों एवं दाँतों को मजबूती प्रदान करता है।

इसका निर्माण हमारे शरीर में सूर्य की पराबैंगनी किरण के ‘अर्गोस्टेराल’ (एक रसायन) के ऊपर पड़ने से होता है।

इसकी कमी से बच्चों में सूखा रोग (Rickets) तथा वयस्कों में ‘अस्थिमृदुता’ (Osteomalacia) नामक रोग हो जाता है।

ये मछलियों के तेल, दूध, अण्डे, यकृत तथा मक्खन से प्राप्त होते हैं। इसे Hormonal Vitamin कहा जाता है।

विटामिन ई – Vitamin E

इसे (Beauty) सुन्दरता का विटामिन कहते हैं।

रासायनिक नाम- टोकोफेराल

यह झुर्रियों की रोक थाम करता है, त्वचा की सुरक्षा व चेहरे की ओज तथा कान्ति बनाये रखता है, प्रजनन अंगों का विकास करता है, कोशिकाओं में उपस्थित एन्जाइमों की रक्षा करता है।

स्रोत-कपास के बीजों के तेल, चावल के छिलके के तेल, सायाबीन के तेल तथा सलाद-पत्ते (Alfalfa) से यह विटामिन प्राप्त होती है।

इसकी कमी से नपुंसकता आ जाती है।

विटामिन के – Vitamin K

रासायनिक नाम- नैष्थाक्चिनोन

यह खून का थक्का बनने में मदद करता है, जिससे रक्त स्राव नियन्त्रित | होता है। यह हरी सब्जियों, अण्डा, गाजर आदि से प्रापत होता है।

इसकी कमी के कारण चोट लगने पर जारी रक्त स्राव आसानी से नहीं रूकता।

जल में घुलनशील विटामिन्स

विटामिन बी – Vitamin B

विटामिन बी, – इसका रासायनिक नाम- ‘थाइमीन‘ है।

यह सर्वप्रथम चावल के छिलके से प्रापत किया गया इसकी |

कमी से मनुष्य में बेरी-बेरी (Beri-Beri) रोग तथा जानवरों में पालीन्यूराइटिस नामक रोग हो जाता है।

बेरी-बेरी से मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है।

बेरी-बेरी से मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है, हृदय आहार नाल व पेशियों की क्रियाशक्ति क्षीण हो जाती हैं यह विटामिन कार्बोहाइड्रेट उपापचय के लिए आवश्यक होता है।

बेरी-बेरी से तन्त्रिका तन्त्र एवं स्नायु क्षीण हो जाते हैं, जो लकवा (Paralysis) का कारण बनते हैं। अनाजों के छिल्के, दाल, दूध, यकृत आदि इस विटामिन के स्रोत हैं।

विटामिन बी, रासायनिक नाम- रीबोफ्लेविन‘ (Riboflavin) है।

इसकी कमी से त्वचा फट जाती है, जीभ में सूजन आ जाती है, नेत्र कमजोर हो जाते हैं, ओठ फटकर सूज जाते हैं।

इसकी कमी से फीलोसिस रोग हो जाता है स्रोतयकृत मांस, फल, सब्जी आदि।

विटामिन बी : रासायनिक नाम- ‘पेरिडाक्सिन

यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा के उपापचय को नियन्त्रण करता है।

कमी से पेलाग्रा के समान लक्षण उत्पनन हो जाते हैं

कभी-कभी अरक्तता (Anaemia) भी हो जाती है।

स्रोतयकृत, मांस, दूध, मछली, मटर, आदि। इस विटामिन का शरीर में संश्लेषण बैक्टीरिया आँत में करते हैं।

विटामिन बी12 : रासायनिक नाम- ‘कोबालैमाइन‘।

यह न्यूक्लियक अम्ल तथा न्यूक्लिओ प्रोटीन के संश्लेषण में भाग लेता है।

इसकी कमी से रक्त क्षीणता (Anaemia) रोग हो जाता है।

इस विटामिन में ‘कोबाल्ट’ नामक तत्व पाया जाता है।

स्रोत- यकृत, सुअर का मांस, अण्डा, दूध फल आदि

इसका भी निर्माण आँत में बैक्टीरिया करते हैं।

विटामिन सी – Vitamin C

रासायनिक नाम- एस्कार्बिक अम्ल

यह शरीर में रोग रोधन क्षमता की वृद्धि करता है।

इसकी कमी से मसूड़ों में सूजन आ जाती है, इससे रक्त व पस का स्राव होने लगता है, जिसे स्कर्वी (Scurvy) रोग कहते हैं।

स्रोत- नींबू, सन्तरा, अंगूर, टमाटर, मुसम्मी, आँवला (आँवला में सर्वाधिक), इमली आदि हैं।

नाविकों को ताजे फल एवं सब्जियाँ न मिल पाने के कारण ‘स्कर्वी’ रोग हो जाता है।

ये प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं।

भोजन को अधिक पकाने पर ये Vitamin C नष्ट हो जाती है। मनुष्य के द्वारा इसी विटामिन का उत्सर्जन किया जाता है।

जल – Water

यह जीव द्रव्य का एक प्रमुख घटक है। हमारे शरीर का | लगभग 60% भाग जल होता है, जो शरीर में असमान रूप से वितरित रहता है।

जल की मात्रा- मूत्र में 95%, रक्त प्लाज्मा में 92%, रक्त में 83%, वृक्क में- 80%, मांसपेशियों में 76%, हड्डियों में 22% होती है। यदि हमारे शरीर में लगभग 12% निर्जलीकरण हो जाय तो घातक सीमा प्रारम्भ होती है, जिसकी अधिकतम सीमा 15% होती है।

जल शरीर में भोज्य पदार्थों एवं खनिज लवणों के संवहन के लिए माध्यम प्रदान करता है। यह शरीर के ताप का नियन्त्रण करता है। यह उत्सर्जी पदार्थों को उनके निर्माण स्थल से उत्सर्जी अंगों में पहुँचाने का कार्य करता है।

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